मांग के प्रकार Types of Demand
मांग मूल्य :- मूल्य मांग , मूल्य का मांग से सम्बन्ध बताता है मांग का कीमत से विपरीत सम्बन्ध है| जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ता है तो उस वस्तु की मांगी गई वस्तु की मात्रा में कमी आ जाती है , इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य कम हो जाता है तो उस वस्तु की मांगी गई वस्तु की मात्रा बढ़ जाती है|इसी कारण वक्र बाये से दायें ,निचे की और गिरता हुआ होता है या मांग वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है जो स्पष्ट करता है की वस्तु का मूल्य जैसे जैसे घटता है वैसे वैसे उस वस्तु की मांग बढती जाती है , इसके विपरीत जैसे जैसे मूल्य बढ़ता है वैसे वैसे वस्तु की मांग में कम होती जाती है| इसको हम रेखा चित्र द्वारा निम्न प्रकार स्पष्ट किया जाता हैउपरोक्त रेखाचित्र में OY अक्ष पर वस्तु का मूल्य तथा OX पर वस्तु की मात्रा है | जब वस्तु मूल्य OP,OP1 से कम हो जाता है तो वस्तु की मांगी गई मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 अधिक हो जाती है मांग वक्र को DD (demand ) रेखा स्पष्ट कर रही है| मांग वक्र मूल्य एवं मात्रा के विपरीत सम्बन्ध को बता रहा है|
आय मांग आय मांग उपभोक्ता की आय एवं वस्तु की मांगी गई मात्रा में सम्बन्ध बताती है उपभोक्ता की आय में जैसे जैसे वृद्धि होती जाती है वैसे वैसे उसके द्वारा श्रेष्ठ वस्तुओ की मांगी गई मात्रा बढती जाती है|जब उपभोक्ता की आय कम होती है तो वह घटिया वस्तुओ की मांग अधिक करता है आय का सम्बन्ध तभी रहता है जब" अन्य बाते समान रहे " अर्थात उपभोक्ता की आय,रूचि एवं फैशन में कोइ परिवर्तन नहीं होना चाहिए |
श्रेष्ठ वस्तुएं उपभोक्ता की आय एवं श्रेष्ठ वस्तुओ में धनात्मक सम्बन्ध होता है उपभोक्ता आय कम होगी तो कम वस्तुए खरीदेगा ,तथा आय जितनी अधिक होती है वह उतनी ही आरामदायक एवं विलासिता की वस्तुओ को खरीदता है अर्थात आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न उपभोक्ता श्रेष्ठ वस्तुओ को अधिक खरीदता है|
हीन वस्तुए :- घटिया या हिन् वस्तुए एवं उपभोक्ता की आय में ऋणात्मक सम्बन्ध होता है जब उपभोक्ता की आय अधिक होती है तो वह घटिया वस्तुओ की मात्रा कम क्रय करते है इसके विपरीत आय कम होने पर उपभोक्ता हिन् वस्तुओ की मात्रा अधिक क्रय करता है|
तिरछी मांग तिरछी मांग वस्तु की मात्रा एवं उपभोक्ता की आय के सम्बन्ध की नही बताती बल्कि यफ उपभोग्य वस्तु एवं उससे सम्बन्धित स्थानापन्न एवं पूरक वस्तुओ के सम्बन्ध को बताती है | स्थानापन्न एवं पूरक वस्तुओ के सम्बन्ध में मांग की स्थिति को अन्य बाते समान रहने पर ही तिरछी मांग बताएगी|
स्थानापन्न वस्तुएं स्थानापन्न वस्तु उस वस्तु को कहा जाता है जिसे किसी वस्तु के आभाव में प्रयोग किया जाता है अर्थात एक दुसरे के स्थान पर जिन्हे प्रयोग में लिया जा सकता है| जैसे लिम्का के स्थान पर पेप्सी |जब एक वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो दूसरी स्थानापन्न वस्तु की मांगी गई मरता अधिक हो जाती है जब स्थानापन्न वस्तु का मूल्य कम हो जाता है तो उसकी स्थानापन्न वस्तु की मांगी गई मात्रा भी कम हो जाती है अर्थात तिरछी मांग स्थानापन्न वस्तुओ के मूल्य एवं मात्रा में धनात्मक सम्बन्ध को बताती है |
उपरोक्त रेखाचित्र में जब लिम्का का मूल्य OL है तो पेप्सी की मांगी गई मात्रा OP अर्थात मूल्य भी कम है तथा मांगी गई मात्रा भी कम है| जब लिम्का का मूल्य OL से बढकर OL 1 हो जाता है तो पेप्सी की मात्रा भी ओप से बढ़कर OP1 हो जाती है तिरछी मांग पेप्सी की मात्रा एबम लिम्का के मूल्य में धनात्मक सम्बन्ध बताती है|
पूरक वस्तुएं जब हम किसी वस्तु का प्रयोग दूसरी वस्तु से अभाव में नही कर सकते तो उन्हे पूरक वस्तुएं कहा जाता है जैसे बालपैन एवं रिफिल,पेट्रोल एवं लूना तथा चाय ,चीनी एवं दूध आदि इन वस्तुओ की कीमत एवं मात्रा में विपरीत सम्बन्ध होता है जब एक पूरक वस्तु की कीमत अधिक हो गई हो तो दूसरी वस्तु की मात्रा कम हो जाती है |इसे रेखाचित्र के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है|
रेखाचित्र मव जब पेट्रोल की कीमत OP अर्थात कम है तो लूना की मांग OQ 1 अर्थात अधिक हो रही है जब कीमत बढ़कर OP 1 हो जाती है तो लूना की मांगी गई मात्रा OQ अर्थात कम हो जाती है|
सामूहिक मांग जब एक ही वस्तु का प्रयोग विभिन्न कामो में किया जाता है तो उसे सामूहिक मांग कहते है | जैसे पानी से कपड़ो की धुलाई की जाती है सफाई की जाती है खाना बनाया जाता है तथा पानी पिया जाता है आदि पानी की मांग को सामूहिक माना जायेगा क्योकि इसका प्रयोग करने से कार्यो का एक समूह निपटाया जाता है पानी की जगह अन्य कोई भी वस्तु सामूहिक मांग का रूप धारण कर सकती है जैसे बिजली ,पैट्रोल तथा अनाज आदि|
व्युत्पन्न मांग जब एक वस्तु की मांग से स्वत:ही दूसरी वस्तु की मांग की किया जाने लगता है तो उसे व्युत्पन्न मांग कहा जाता है जब हम पढना चाहते है तो पेन ,किताबे तथा कॉपिया की मांग स्वत: ही उत्पन हो जाती है तो ऐसे मांग को व्युत्पन्न मांग कहा जाता है |व्युत्पन्न मांग किसी भी वस्तु के सम्बन्ध में हो सकती है जैसे माकन बनाना हो या मॉल उत्पादन करना हो तो इन कार्यो को पूरा करने के लिए विभिन्न वस्तुओ की मांग स्वत: ही उत्पन्न हो जाती है|
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