स्थैतिक विश्लेषण की सीमाए व दोष
स्थैतिक विश्लेषण आर्थिक विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु इसकी कुछ सीमाएं है जिनके कारण इसे व्यवहारिक माना जाता है|
स्पष्ट है कि वास्तविक परिवर्तनशीलता के कारण स्थैतिक विश्लेषण का सिमित महत्व होता है |
स्थैतिक विश्लेषण आर्थिक विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु इसकी कुछ सीमाएं है जिनके कारण इसे व्यवहारिक माना जाता है|
- अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित स्थैतिक विश्लेषण एक स्थिर अर्थव्यवस्था की मान्यता पर आधारित होता है जो की वास्तविकता से दूर है परिवर्तन अर्थव्यवस्था की स्थिर मानकर निष्कर्ष निकालना एक कल्पना मात्र है|अत : यह विश्लेषण अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित है|
- सिमित श्रेत्र ( limited Area ) - स्थैतिक विश्लेषण से आधार पर बहुत सु आर्थिक समस्याओ का अध्ययन नही किया जाता है|
- निष्कर्षों में सत्यता का आभाव lack of Trueness स्थैतिक विश्लेषण काल्पनिक मान्यताओ पर आधारित होता है |और उससे प्राप्त होने वाले निष्कर्ष सत्य से बहुत दूर होते है|
- परिवर्तन शील तत्वों को स्थिर माना है- अर्थव्यवस्था में बहुत से तत्वो को स्थिर माना गया है जो स्थिर न होकर भी होता है जेसे फेशन आय अदि |अत: स्थैतिक विश्लेषण व्यवहारिक नही होता है |
- सभी प्रकार के अनुमान लगाना कठिन(All Type of Forecasting in Duffucult) स्थैतिक विश्लेषण से अर्थव्यवस्था से सम्बन्ध में सभी प्रकार के पुर्वानुमान लगाना कठिन कार्य होता है|
स्पष्ट है कि वास्तविक परिवर्तनशीलता के कारण स्थैतिक विश्लेषण का सिमित महत्व होता है |
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